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संताल परगना में आदिवासी आबादी पर संकट, संस्कृति-सभ्यता पर भी खतरा- बाबूलाल मरांडी

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द फॉलोअप डेस्क
संथाल परगना में आदिवासियों की घटती आबादी के जांच के संदर्भ में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि संताल परगना में आदिवासी आबादी पर संकट है। राज्य के संस्कृति और सभ्यता पर भी खतरा है। ऐसे में  यहां रहने वाले आदिवासियों के लिए भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है जिसकी पहचान यहां के आदिवासी समाज की पहचान का एक हिस्सा रही है। लेकिन हाल के दशकों में इस क्षेत्र में संकट के बादल मंडरा रहे हैं।  बाबूलाल ने सीएम हेमंत से अनुरोध किया है कि इस विषय को संज्ञान में लेते हुए SIT का गठन कर जांच कराने की अनुशंसा करें, जिससे आदिवासी समाज की घटती आबाद के पीछे का रहस्य उजागर हो सके। 


बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर कही ये बात
बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के अवैध प्रवास के कारण यहां का समाज अपने अस्तित्व और संसाधन बचाने में लगा है। घुसपैठिए तेजी से यहां बस रहे हैं और आदिवासी समाज की जल, जंगल व जमीन को खतरा पहुंचा रहे हैं, तथा अपने आपराधिक कृत्यों से माताओं, बहनों और बच्चों को प्रताड़ित कर रहे हैं। यहां तक कि बंगलादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी समाज की बहनों को लोभ लालच एवं डरा धमका के जबरन शादी कर इनकी जमीन को कब्जा कर रहे हैं। इस संबंध में आए दिन समाचार पत्रों में इस तरह की खबरें प्रकाशित होती रहती है। इस तरह की घटनाओं की सूचना आपको भी होगी।


आंकड़ा भी किया पेश
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने आंकड़ा दिखाते हुए लिखा है कि वर्ष 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या जहां 44.67% थी वहीं आज यह घटकर मात्र 28.11% ही बची है, ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब संथाल परगना में संथाल ही अल्पसंख्यक हो जायेंगे, तथा आदिवासियों के नाम से जाना जाने वाला यह संथाल परगना अपनी पहचान खो देगा।अनुमानित आंकड़ों के आधार पर स्पष्ट रूप से संथाल परगना में यह बात परिलक्षित होती है कि वर्ष 2021 जनगणना में आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में ज्यादा अंतर नहीं रहने की संभावना है या ये भी कह सकते हैं कि वर्ष 2021 जनगणना में ही आदिवासी समुदाय और मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या लगभग बराबर हो गई है। इस बात का अंदेशा पूर्व से ही लगाया जा रहा है और वह सच साबित होता दिख रहा है। इस पत्र के साथ उदाहरण के तौर पर केन्द्र सरकार द्वारा किए गए जनगणना से संथाल परगना क्षेत्र के

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